सार्थकता की माप, प्रभावशीलता की समझ

भारत में एमईएल की स्थिति और निवेश की दिशा की एक ज़मीनी झलक

भारत के सिविल सोसाइटी संगठन अब MEL से ज़्यादा उम्मीद कर रहे हैं — और उससे ज़्यादा सीख भी रहे हैं। देशभर में संगठन अपने काम करने, सीखने और ज़िम्मेदारी निभाने के तरीके बदल रहे हैं। यह रिपोर्ट इस सफर को समझने की कोशिश करती है — क्या बदल रहा है, क्या बेहतर हो रहा है, और आगे कैसे ऐसे सिस्टम बनाए जा सकते हैं जो सीखते रहें, बढ़ते रहें, और लोगों के काम आएं। 

जवाबदेही से आगे बढ़ते हुए

अब ज़्यादा संगठन MEL को सिर्फ़ रिपोर्टिंग का ज़रिया नहीं, बल्कि सोचने, कुछ नया करने और ठोस विकास की दिशा में बढ़ने का एक साधन मान रहे हैं

MEL की असली ताकत

सिस्टम मौजूद हैं, लेकिन उनकी असली शक्ति सीखने, फैसले लेने और बदलाव लाने में है — सिर्फ रिपोर्टिंग तक सीमित नहीं है

बदलाव के बीज, मजबूती के संकेत

छोटे-छोटे सीखने के साधन, समुदाय की प्रतिक्रिया चक्र, और साथियों के बीच सीखने-सिखाने के अनुभव, संगठन के भीतर जवाबदेही को मजबूत कर रही है

मूल्यांकन की अहमियत बढ़ रही है, अब सीखने को जगह देने का समय है

MEL के दो मुख्य स्तंभ — मूल्यांकन और सीखना — अब मजबूत हो रहे हैं, लेकिन असरदार बदलाव के लिए और बेहतर ढांचे की जरूरत है

MEL पर निवेश बढ़ने से प्रणालियाँ और मजबूत होती हैं।

जैसे-जैसे MEL पर खर्च बढ़ता है, काम में चुनौतियाँ घटती हैं। छोटे निवेश भी मजबूत प्रणालियाँ बना सकते हैं

नई सोच से बनते नए रास्ते

WhatsApp से ट्रैकिंग से लेकर साथी संगठन के प्रयासों तक, जमीनी संगठन रचनात्मकता और सोच के साथ MEL के तरीके गढ़ रहे हैं

MEL के लिए फंडिंग के नए तरीके खोजे जा रहे हैं।

अब फंडर MEL को मजबूत करने के लिए साझा फंड, संगठन के साथ जुड़ी मदद, और साझा साधनों के तरीके आज़मा रहे हैं

इरादा था, अब प्रणाली बन रही है

कई संगठन MEL को अपने काम का अहम हिस्सा मानते हैं, लेकिन इसे एक मजबूत प्रणाली बनाने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है

भीतर से बदलाव

संगठन अब रोज़ के कामकाज में MEL को अपना रहे हैं — सीख देने वाली कहानियों, अनुभव साझा करने और टीम के साथ मिलकर सीखने के ज़रिए

हर स्तर पर कौशल और काबिलियत बढ़ाना

कुछ संगठन ऐसे हैं जो रोज़ के काम में MEL का सही इस्तेमाल कर पा रहे हैं, जबकि कुछ अभी ज़रूरी कौशल और सिस्टम तैयार कर रहे हैं। इससे समझ आता है कि अलग-अलग स्तरों पर क्षमता बढ़ाने और सीखने के लिए मदद की ज़रूरत है

तकनीकी साधनों से ज़्यादा ज़रूरी है सोच और तरीका

नई तकनीक और प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन असली बदलाव तब आता है जब हम डेटा के आधार पर सोचने और फैसले लेने की आदत बनाते हैं

डेटा से फैसले और कदम की ओर

संगठन पहले से डेटा इकट्ठा कर रहे थे। अब वे यह भी सीख रहे हैं कि इस डेटा का इस्तेमाल करके सही फैसले लें और ज़मीनी स्तर पर ठोस कदम उठाएँ।

सिर्फ नियम और प्रक्रियाएँ नहीं, ज़रूरी है साझेदारी

आर्थिक मदद करने वाले संगठन अब समझ रहे हैं कि लंबे समय तक मजबूत MEL क्षमता बनाने के लिए भरोसा, लगातार समर्थन और साझा लक्ष्य होना बहुत ज़रूरी है — सिर्फ नियमों और प्रक्रियाओं को मानना काफी नहीं है

समुदाय की समझ को आधार बनाना

जब MEL में समुदाय की आवाज़ को सुना और सम्मान किया जाता है, तब यह ज़िम्मेदारी और सीखने का साधन बनता है — न कि सिर्फ़ जानकारी इकट्ठा करने का

भागीदारी बढ़ रही है

आज 81.8% संगठन अपना डेटा समुदायों के साथ साझा कर रहे हैं। धीरे-धीरे वे गहरी साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं, जहाँ सीख और समझ दोनों मिलकर तैयार किए जा रहे हैं

जब पहुँच सब तक हो, तब ताकत भी सबकी होती है।

संगठन अब डिजिटल और ऑफलाइन साधनों का मिलकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका एक मकसद है उन लोगों तक पहुँचना जो पहले पीछे रह जाते थे। दूसरा मकसद है साक्षरता, भाषा और तकनीक से जुड़ी दूरी को कम करना

कहानियाँ जो रास्ता दिखाएँ

संगठन अब नए तरीके आज़मा रहे हैं — जैसे चित्रों का इस्तेमाल, समुदाय की कहानियों को सामने लाना, और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अपने क्षेत्र की ताकतों और संसाधनों को समझना और दर्ज करना — ताकि जानकारी ज़मीन से जुड़ी और लोगों की जिंदगी के अनुभवों से भरी हो

महिलाओं की गिनती से उनकी असली पहचान तक — एक नई सोच की ओर।

कुछ संगठन अब महिलाओं को सिर्फ़ आँकड़ों में गिनने तक सीमित नहीं हैं। वे MEL में जेंडर विश्लेषण को मुख्य स्थान दे रहे हैं — ताकि महिलाओं की असली ताकत, भूमिका और उनकी बदलती पहचान को सही तरीके से समझा जा सके

नई आवाज़ें, नया रास्ता

अब युवा टीम सदस्य MEL में बदलाव की दिशा तय कर रहे हैं — वे नई ऊर्जा, तकनीक को बेहतर तरीके से अपनाने की क्षमता, और मिलकर सीखने के जज़्बे के साथ आगे बढ़ रहे हैं

मिलकर सफलता को नया अर्थ देना

MEL को सभी के लिए खुला और भागीदारी भरा बनाने का मतलब है यह बदलना कि सफलता को परिभाषित करने का हक किसे है — और यह सुनिश्चित करना कि जो लोग ज़मीन पर काम कर रहे हैं, वही आगे का रास्ता दिखाएँ

बुनियाद तैयार है, अब आगे बढ़ने की योजना बनानी है

आज 72.6% संगठन डेटा इकट्ठा कर रहे हैं। अब अगला बड़ा कदम है — इस डेटा से सीखना, बदलाव करना, और समझदारी से आगे बढ़ने के लिए योजनाएँ बनाना और सही फैसले लेना

Credits:

Creative Direction: Anubrata Basu

Technical Design: Tarun Pathak

Development: Abhishek Kumar